कॉर्डिसेप्स यानि कीड़ाजड़ी शक्तिशाली उपचार गुणों वाली विभिन्न प्रजातियां में शामिल हैराजस्थान प्रदेश के हनुमानगढ़ जिले में पडऩे वाले निनाण गांव में दो भाई मिलकर कीड़ाजड़ी औषधीय तैयार कर रहे हैं। इससे दोनों भाई लाखों रुपये घर पर ही कमा रहे हैं। आपको बता दें कि कीड़ाजड़ी एक ऐसा कवक जिसमें हैं मानव जीवन को निरोगी रखने के कई औषधीय गुण है। जीवन में सेहत के कई सुधारों के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है।पहले ली जानकारी
गांव निनाण निवासी राकेश कुमार बैनीवाल एमबीए व जयवीर सिंह बीएससी व बीएड पास हैं। दोनों ने कीड़ाजड़ी तैयार करने से पहले गंगानगर स्थित एसडी कालेज में कार्यरत रहे प्रोफेसर चरण सिंह से जानकारी ली। इसके बाद दोनों ने मिलकर घर पर दो कमरों में कीड़ाजड़ी तैयार करने के लिए प्रयेागशाला बनाई।60 से 70 दिन में तैयार होती है कीड़ाजड़ी
कीड़ाजड़ी तैयार करने में 60 से 70 दिन का समय लगता है। राकेश कुमार बैनीवाल व जयवीर सिंह ने बताया कि कीड़ाजड़ी से प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपये की बचत हो जाती है। इस कीड़ाजड़ी की मार्केटिंग अपने स्तर व इंटरनेट मीडिया से कर रहे है। इससे लोगों का भी काफी सहयोग मिल रहा है।क्यों उपयोगी है कीड़ाजड़ी
कॉर्डिसेप्स का पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग जीवन शक्ति बढ़ाने, सहनशक्ति में सुधार करने और दीर्घायु को बढ़ावा देने की क्षमता के लिए इसे महत्व दिया जाता था।
कीड़ाजड़ी सेलुलर स्तर पर ऊर्जा उत्पादन में सुधार करता है, इससे सहनशक्ति और व्यायाम प्रदर्शन में वृद्धि होती है, शारीरिक प्रदर्शन को बढ़ाने की अपनी क्षमता के कारण इसने एथलीटों और फिटनेस उत्साही व्यक्तियों के बीच लोकप्रियता हासिल की है।
-श्वसन स्वास्थ्य:
कीड़ाजड़ी का प्रयोग पारंपरिक रूप से श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए किया जाता रहा है। इसका वैज्ञानिक अध्ययनों ने फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करने और श्वसन क्रिया में सुधार करने में इसको प्रयोग होता है। यह अस्थमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वसन स्थितियों से जुड़े लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
इसके सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण
आपको बता दें कि कीड़ाजड़ी शक्तिशाली सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रदर्शित करता है, जो इसकी चिकित्सीय क्षमता में योगदान देता है, यह गुण ऑक्सीडेटिव तनाव से निपटने, सूजन को कम करने और विभिन्न पुरानी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।