अखिल भारतीय बाल साहित्य सम्मेलन में देश के आठ राज्यों से बाल साहित्यकार ने लिया भाग - Choptapress.com

अखिल भारतीय बाल साहित्य सम्मेलन में देश के आठ राज्यों से बाल साहित्यकार ने लिया भाग

KAVI SAMMELAN
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अखिल भारतीय बाल साहित्य सम्मेलन में देश के आठ राज्यों से बाल साहित्यकार ने लिया भाग

हरियाणा के सिरसा में श्रीयुवक साहित्य सदन में मातेश्वरी विद्या देवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान द्वारा अखिल भारतीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया गया।

इसमें देश के आठ राज्यों से बाल साहित्यकार , बाल साहित्य के विभिन्न पक्षों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अध्यक्ष जयपुर से पधारी साहित्य पोषक व समाजसेवी चांद वर्मा थी।

मुख्य अतिथि प्रमुख समाजसेवी तथा जेजेपी के सिरसा जिला प्रधान अशोक वर्मा थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में अंग्रेजी तथा हिंदी के प्रतिष्ठित रचनाकार प्रिंसिपल डॉक्टर करतार सिंह जाखड़ , समाजसेवी स्वामी रमेश साहुवाला तथा संजीवनी हॉस्पिटल के अध्यक्ष समाजसेवी रमेश जिंदगार थे ।

दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि गुरुग्राम से प्रतिष्ठित वरिष्ठ शायर , साहित्यकार प्रोफेसर आर पी सेठी कमाल तथा श्रीमती चाँद वर्मा ने जब की । कार्यक्रम के अध्यक्ष संदीप चौधरी एडवोकेट थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में हिंदी शिक्षक व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिरसा के अध्यक्ष संदीप सैनी थे ।

 

लेखक डॉ शील कौशिक ने हरियाणा का बाल साहित्य एक अध्ययन” विषय पर विस्तार से चर्चा की

 

सम्मेलन के तीसरे सत्र के मुख्य अतिथि मुरादाबाद से डॉक्टर राकेश चक्र , अध्यक्ष  लखनऊ से पधारी प्रतिष्ठित बाल साहित्यकार नीलम राकेश थीं । विशिष्ट अतिथि सिरसा के प्रमुख समाजसेवी माणक चंद जैन, मुंबई महाराष्ट्र से डॉक्टर पूजा अलापुरिया , बीकानेर राजस्थान से संगीता सेठी , सहारनपुर उत्तर प्रदेश से डॉ आर पी सारस्वत , अजमेर से अनीता गंगाधर रहीं ।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ।

 

 

सरस्वती वंदना बीकानेर से पधारी संगीता सेठी ने अपनी मधुर आवाज में प्रस्तुत करके सबको भाव विभोर कर दिया। आए हुए मेहमानों का स्वागत संस्थान के अध्यक्ष तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ राजकुमार निजात ने किया ।

इसके पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में डॉ सुरेंद्र विक्रम द्वारा लिखा गया आलेख दो निजात द्वारा पढ़ा गया । प्रतिष्ठित लेखक डॉ शील कौशिक ने “हरियाणा का बाल साहित्य : एक अध्ययन” विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला ।

इसी सत्र में डॉक्टर शील कौशिक द्वारा लिखे गए नाटक “पिंक परी” का मंचन केएल थिएटर के निदेशक करण लड्ढा तथा उनकी रंग कर्मी टीम सर्व श्री नीरज ,निखिल, नितिन, दिव्या, कुसुम, प्रिया, श्रृंखला ,पवनदीप द्वारा प्रभावशाली ढंग से किया गया जिसमें प्रदूषण के खिलाफ लोगों को सचेत किया गया था । नाटक में निहित प्रदूषण के खिलाफ संदेश ने कलाकारों का मन मोह लिया । प्रथम सत्र में ही राजकुमार निजात ने “बच्चों को प्रोडक्ट न बनाएं” आलेख प्रस्तुत किया जिसकी खूब प्रशंसा की गई।

इस अवसर पर बाल साहित्य में की गई विशिष्ट सेवाओं तथा विशिष्ट उपलब्धियां के दृष्टिगत देश भर से पधारे बाल साहित्यकारों का शाल ओढ़ाकर , मेडल पहनाकर , प्रशस्ति पत्र व अंग वस्त्र प्रदान करके  ₹1100 की राशि सहित सम्मान किया गया । मंच संचालन वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार जनकराज शर्मा , डॉ आरती बंसल , उर्मिल शर्मा तथा राजकुमार निजात ने संयुक्त रूप से किया ।

सम्मानित किए गए साहित्यकारों में लखनऊ से डॉक्टर राकेश चंद्रा, बीकानेर से सुनील गज्जाणी , अजमेर से सुनीता गंगाधर , सहारनपुर से डा. आर पी सारस्वत , सिरसा से डॉ शक्ति राज कौशिक , मुरादाबाद से डॉ राकेश चक्र , लखनऊ से नीलम राकेश , जयपुर से सुशीला शर्मा , नवी मुंबई से डॉक्टर पूजा अलापुरिया , बीकानेर से संगीता सेठी , सिरसा से बलबीर सिंह वर्मा वागीश, कोटा से रघुराज सिंह कर्मयोगी , पंचकूला से किशोर शर्मा सारस्वत , प्रयागराज से अशोक श्रीवास्तव कुमुद तथा हनुमानगढ़ जंक्शन से दीनदयाल शर्मा को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर दीनदयाल शर्मा के पाक्षिक पत्र टाबर टोली के बाल साहित्य पर आधारित अंक का विमोचन भी किया गया ।

इस सत्र में जिन साहित्यकारों की पुस्तकों का विमोचन किया गया उनमें गुजरात की प्रभा पारीक की “बाल प्रेरणा कथा” , “नैतिकता की बातें” कृति बलवीर सिंह वर्मा , राजकुमार निजात की एक दर्जन पुस्तक कृतियाँ  “फिर जीत गया कछुआ” , मेरे पापा सबसे अच्छे , चली लोमड़ी कुल्फी खाने , पेड़ों को मिला जीवन दान , हम बाँटें सबको मुस्कान , क्यों है मम्मी सारे गोल , गीत पेड़ के गाए हम , “बाल विकास : चिंतन और विमर्श के विविध आयाम”, रोचक और ज्ञानवर्धक पहेलियां , मानसिंह राठौर बाड़मेर राजस्थान की कृति ,म्हारा पापा बस्तो लाया”, “वर्तमान बाल साहित्य : समीक्षा के आईने में” डॉक्टर राकेश चंद्रा , “रोचक विज्ञान कथाएं”, नीलम राकेश  , किशोर शर्मा सारस्वत की “सकारात्मक सोच में निहित है सार्थक जीवन” , तथा डॉक्टर करतार सिंह जाखड़ भिवानी द्वारा राजकुमार निजात का हिंदी काव्य संग्रह “पीले गुलाबों वाला घर” के हिंदी अनुवाद की पुस्तक “ए हाउस विद येलो रोजेस” का लोकार्पण किया गया ।

 

 

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