कोई सोने से रोके तो दर्ज करावा सकते हैं मुकदमा, जानें क्या कहता है नियम
गहरी नींद का अधिकार है, क्योंकि यह जीवन का मौलिक अधिकार
आज आपके जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। वैसे आपको पता है कि अच्छी सेहत के लिए सोना बहुत जरूरी है। कई व्यक्तिजिनको नींद नहीं आती है, वह परेशान नजर आते हैं। लेकिन जिनको नींद आती है उन्हें सोने नहीं दिया जाता है। चिकित्सक और मेडिकल साइंस इसकी पुष्टि कर चुके हैं। अच्छी नींद के फायदों पर बहुत कुछ लिखा गया है, इंडिया में हर व्यक्ति को गहरी नींद का अधिकार है, क्योंकि यह जीवन का मौलिक अधिकार है।
मामला दर्ज करवा सकते हैं
आज आपको बता दें कि अच्छी नींद लेने का भी आपका फंडामेंटल अधिकार है, इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अगर कोई भी आपको सोने से मना करता है तो आप उस पर मामला भी दर्ज करा सकते हैं।
संविधान के साथ देश की सर्वोच्च कोर्ट भी इस पर अपना स्पष्ट रुख दे चुकी है, ये भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जीवन के अधिकार का दायरा बढ़ाकर एक नागरिक के शांति से सोने के अधिकार को अपने अंतर्गत ला दिया है।
इसके अनुसार एक नागरिक को गहरी नींद का अधिकार है क्योंकि यह जीवन का मौलिक अधिकार है, सुप्रीम कोर्ट ने भी एक केस की सुनवाई के दौरान नींद को बुनियादी मानव अधिकार करार दिया गया था।
सोने का अधिकार अनुच्छेद 21 में है
इंडिया के संविधान अनुच्छेद 21 के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के तहत नींद के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में भी मान्यता दी गई है। अनुच्छेद 21 के मुताबिक, कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतरिक्तकिसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं कर सकता है।
आपको बता दें कि जून 2011 में दिल्ली में बाबा रामदेव की रैली में सो रही भीड़ पर पुलिस के एक्शन की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला सुनाया था कि पुलिस की कार्रवाई से लोगों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ।