बारिश के अभाव में ग्वार की फसल को बचाने के लिए किसान करें सिंचाई
ग्वार में फंगस की बीमारी की रोकथाम के लिए ये करें किसान
सिरसा जिले के गांव राजपुरा साहनी में कृषि विभाग नाथूसरी चौपटा के तत्वावधान में ग्वार फसल में पौध संरक्षण और सूखे की स्थिति को देखते हुए ग्वार फसल को बचाने के लिए किसान प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया।
किसान प्रशिक्षण शिविर में ग्वार विशेषज्ञ डा. बीडी यादव व एटीएम डा. मदन सिंह ने जानकारी दी। इस दौरान गोष्ठी में किसानों से रू-ब-रू होने से किसानों से पता चला कि पिछले 25-30 दिनों से इस क्षेत्र में बरसात न होने के कारण तथा ज्यादा गर्मी पडऩे की वजह से ग्वार फसल खासतौर से बारानी ग्वार व पछेती की गई ग्वार की बिजाई में सूखे का असर दिखाई देने लग गया है।
कृषि वैज्ञानिक बीडी यादव ने बताया कि ग्वार की जीवाणु अंगमारी व फंगस बीमारी के कारण शुरूआत में पत्तों की किनारियां पीली पडऩी शुरू हो जाती हैं तथा धीर-धीर यह किनारियों उपर से सुकडक़र काली होनी लगती हैं। इस फसल में मुख्यत: जडग़लन व जीवांणु अंगमारी रोग आते हैं। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने इस फसल में लगनें वाले कीड़े हरा तेला व सफेद मक्खी तथा इस फसल में लगने वाली बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी दी। मौसम में अधिक नमी बढऩे से ग्वार फसल की पछेती बिजाई में जीवाणु अंगमारी और फंगस रोग का प्रकोप अभी भी दिखाई दे रहा है।
इन बिमारियों के प्रकोप को देखते हुए गोष्ठी में किसानों ने बताया ग्वार की फंगस की बीमारी की रोकथाम के लिए पहला स्प्रे किसान कर चुके हैं। इसके साथ-साथ डॉ. बी.डी. यादव ने किसानों से अनुरोध किया जिन किसानों ने अभी दूसरा स्प्रे नहीं किया है और अगर ग्वार की बीमारी के लक्षण अभी दिखाई दे रहे हैं, जो फसल 55-65 दिन की हो गई है, उस फसल में इसकी रोकथाम के लिए 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लिटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करने को कहा। अगर फसल में कीड़ों का प्रकोप हो तो कृषि वैज्ञानिक की सलाह ले कर ही स्प्रे करें।
डॉ. बीडी यादव ने कहा कि इस समय बरसात काफी दिनों से नहीं होने व ज्यादा गर्मी होने से ग्वार की फसल मुरझाने लग गई है, इसका ज्यादा असर बारानी फसल या पछेती बिजाई वाली फसल पर पड़ा है। इसलिए इस समय जिन किसानों के पास नहर या जमीन का अच्छी किस्म का पानी उपलब्ध है, उसको ग्वार फसल में जरूरत अनुसार पानी लगाना चाहिए, जिससे ग्वार फसल को और ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सकें। इस प्रोग्राम को मोनिटर करने के लिए एग्रीवॉच संस्था से डा. निशचला विशेष तौर पर मौजूद थी।
इसी दौरान एटीएम डा. मदन सिंह ने किसानों को जल शक्ति अभियान चलाकर किसानों को जल संरक्षण एवं जल सदुपयोग के महत्व को समझाया तथा आने वाली पीढ़ी के लिए जल बचानेे के लिए किसानों को प्रेरित किया। इस शिविर में मौजूद 65 किसानों को स्ट्रैप्टोसाईक्लिन पाऊच एक एकड़ के स्प्रे के लिए तथा स्प्रे के नुकसान से बचने के लिए फेस मास्क भी वितरित किए। इस प्रोग्राम को आयोजित करने में बलवीर सहारण का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर ओमप्रकाश, प्रभुदयाल, सोहनलाल, हेमराज, शंकर, प्रतापसिंह, सत्यपाल आदि मौजूद थे।