गृह मंत्री अमित शाह के सिरसा दौरे से पहले ही रैली के फ्लॉप होने के आहट से बीजेपी सरकार इस कदर बौखला चुकी है कि रैली से दो दिन पूर्व विपक्षी पार्टी के नेताओं व किसान संगठनों के पदाधिकारियों को सम्मन भेजकर कोर्ट में पेश होने का फरमान जारी किया है। कोर्ट में पेश न होने पर तुरंत प्रभाव से गिरफ्तारी की भी चेतावनी दी गई है।
राष्ट्रीय किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष लखा सिंह अलीकां ने कहा कि ये सरकार की बौखलाहट का ही परिणाम है, जो इस प्रकार के हथकंडे अपनाए जा रहे हं। उन्होंने कहा कि सैकड़ों किसान नेताओं व विपक्षी पार्टी के नुमाइंदों को सम्मन जारी किए गए हंै, जबकि केस तो काफी समय से चल रहे हंै।
अलीकां ने कहा कि सरकार को इस बात का आभास हो चुका है कि अब वह सत्त्ता से बाहर होने वाली है।
इसी डर के कारण सरकार तानाशाही तरीके से सरकारी तंत्र का जमकर दुरपयोग कर रही है। लखा सिंह ने कहा कि अमित शाह के दौरे की घोषणा के बाद से ही सभी प्रशासनिक अधिकारी बजाय जनता की समस्या को जानने के रैली की तैयारियों में मशगूल है, जबकि जनता त्राहि-त्राहि करने को मजबूर है। केंद्र की मोदी सरकार अंग्रेजी राज की तर्ज पर चल रही है, जैसे अंग्रेजों के राज में कोई उनके जुर्म और अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठा सकता था, उसी प्रकार वर्तमान सरकार में भी आवाज उठाने पर उसे दबाने का ही प्रयास किया गया है और किया जा रहा है, जिसे जनता किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगी। लखा सिंह ने कहा कि कोई भी किसान नेता जमानत करवाने नहीं जाएगा, बेशक सरकार उन्हें गिरफ्तार ही क्यों न कर ले।