चंद्रयान 3: चंद्रयान 3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तिथि क्यों हुई तय, चांद के द्वार चंद्रयान
चंद्रयान को लेकर बड़ी खबर आई सामने
चंद्रयान 3 को लेकर देश ही नहीं दुनिया भी इंतजार कर रही है। 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लांचिंग के करीब 25 दिन बाद रूस ने लूना-25 को लांच किया था लेकिन लैंडिंग से पहले वो क्रैश हो गया। इन सबके बीच हर एक व्यक्ति को उम्मीद है कि इस दफा चंद्रमा पर इसरो बिना किसी बाधा के सॉप्ट लैंडिंग कराने में कामयाब होगा।
अभी सभी के मन में एक प्रश्र उठ रहा है कि 23 अगस्त की तिथि और शाम 6 बजकर 4 मिनट का ही क्यों किया गया। इसरो के अनुसार विक्रम लैंडर की लैंडिंग में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर किसी तरह की दिक्कत आई उस हालात में भी हमारे पास प्लान बी तैयार है। यहां पर 23 अगस्त की तिथि और समय के चुनाव के बारे में बताएंगे।
ये हैं खास वजह
आपको बता दें कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद सौर ऊर्जा के माध्यम अपनी गतिविधि को आगे बढ़ाएगा। चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन उजाला रहता है। अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दिन की जगह पर रात्रि में उतरते तो कार्य करना मुश्किल होता।
आपको बता दें कि सटीक गणना के बाद इसरो के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि साउथ पोल पर सूरज की पर्याप्त रोशनी रहेगी। इससे ना सिर्फ लैंडिंग में आसानी होगी बल्कि प्रज्ञान रोवर सही तरीके से काम कर सकेगा.
चांद पर इस समय रात्रि है और 22 अगस्त से उजाला हो चुका है, 23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक उजाला रहेगा और उसका फायदा यह होगा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दोनों को सूरज से ऊर्जा मिलती रहेगी।
दक्षिणी ध्रुव पर माइनस 230 डिग्री तापमान
इसरो के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर माइनस 230 डिग्री तापमान रहता है, कड़ाके की ठंड में विक्रम और प्रज्ञान के लिए काम करना मुश्किल होगा लिहाजा 23 अगस्त की तिथि को सोच समझ कर किया।
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