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CROP : ग्वार की पछेती बिजाई में लगने वाली बीमारियों का बढ़ रहा है प्रकोप

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ग्वार की पछेती बिजाई में लगने वाली बीमारियों का बढ़ रहा है प्रकोप, ये करें किसान
जीवाणु अंगमारी व फंगस बीमारी के कारण शुरूआत में पत्तों की किनारियां पीली पडऩी शुरू

सिरसा जिले के गांव मलिकपुरा में ग्वार की पछेती बिजाई पर स्वास्थ्य प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें ग्वार की पछेती बिजाई में लगने वाले कीड़ों व बीमारियों को देखते हुए ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव तथा कृषि विभाग ओढ़ां के अधिकारियों के तत्वावधान म ेंगोष्ठी के दौरान ग्वार की फसल में आ रही बीमारियों के लक्षण के बारे में बताया गया है।

कीड़े हरा तेला व सफेद मक्खी

इस दौरान डा. बीडी यादव ने बताया कि ग्वार की जीवाणु अंगमारी व फंगस बीमारी के कारण शुरूआत में पत्तों की किनारियां पीली पडऩी शुरू हो जाती हैं तथा धीर-धीर यह किनारियों उपर से सुकडक़र काली होनी लगती हैं। इस फसल में मुख्यत: जडग़लन व जीवाणु अंगमारी रोग आते हैं। इस प्रोग्राम को आगे बढ़ाते हुए ग्वार विषेषज्ञ ने इस फसल में लगनें वाले कीड़े हरा तेला व सफेद मक्खी तथा इस फसल में लगने वाली बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी दी।

मौसम में अधिक नमी बढऩें से ग्वार फसल की पछेती की गई बिजाई में लगने वाली बीमारियों का प्रकोप काफी बढ़ता जा रहा है।  ग्वार की बीमारी की रोकथाम कैसे करें:  डॉ. बी.डी. यादव ने बताया कि पछेती की गई बिजाई में बैक्टीरियल लीफ ब्लाईट (फंगस रोग) करीबन 35-40 दिन की फसल होने पर शुरूआती लक्ष्ण दिखाई देने लग जाते हैं।

इस अवस्था में ग्वार फसल में पहला स्प्रे बिजाई के 35 दिन पर 30 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन व 400 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराईड को 200 लीटर पानी में अलग-अलग घोल बना कर फिर उसे मिलाकर प्रति एकड़ छिडक़ाव करें, इसकी अगला स्प्रे 10-12 दिन अन्तराल पर करें।

अगर इन बीमारियों के साथ अगर रस चूसने वाले कीड़ें जैसे हरा तेला, काला चेपा व सफेद मक्खी का प्रकोप साथ हो तो 250 मि.ली. मैलाथियोन-50 ई.सी. या रोगोर 30 ई.सी. प्रति एकड़ स्प्रे पम्प या ड्रम में सीधा उपर से मिलाकर छिडक़ाव करें।

कब करे ग्वार की फसल में सिंचाई कब करें

डॉ. यादव ने बताया कि अगर ग्वार की फसल सुबह के समय सोखा दिखा रही है तो बारिश के अभाव में किसान ग्वार में सिंचाई नहर के पानी से आवश्यकता अनुसार करें। सिंचाई में ट्यूबवैल का खारी या सोडिक पानी का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें

अन्यथा खड़ी फसल की मौके पर बढ़वार एक दम रूक जाएगी और जमीन का मुंह बन्द होने पर फसल में बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है। इस अवसर पर राम प्रताप सिंह, बग्गरसिंह, सुखजिंद्र सिह, राजेन्द्र सिंह, गुरूदेव सिंह, बृजलाल, मूलाराम, आसाराम, नाजरसिंह, इकबाल सिंह आदि मौजूद थे।

मुख्य अतिथि डॉ. पवन यादव, एटीएम ओढ़ा ने कृषि विभाग की लाभकारी योजनाओं के बारे मेंं जानकारी दी। उन्होंने किसानों को बताया कि वह कृषि वैज्ञानिक व अधिकारी के लगातार सम्पर्क में रहें। कृषि विभाग ओढ़ां के बीटीएम डॉ. विक्रम जाखड़ ने कपास में लगने वाले कीड़े व उनकी रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इस अवसर पर एग्रीवाच संस्था के संजीव झा इस प्रोग्राम को मोनिटर करने के लिए विशेषतौर पर मौजूद थे। इस शिविर में मौजूद 54 किसानों को सैम्पल के तौर पर स्ट्रैप्टोसाईक्लिन के पाऊच एक एकड़ स्प्रे के लिए कम्पनी की तरफ  से दिए गये। इस प्रोग्राम को आयोजित करने में नम्बरदार राम प्रताप का विशेष योगदान रहा।

 

 

 

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