CHANDERYAN:- चांद पर चंद्रयान के पहुंचने की खुशी में इसरो के वैज्ञानिकों को 1 करोड़ रुपये देंगे एनआरआई - Choptapress.com

CHANDERYAN:- चांद पर चंद्रयान के पहुंचने की खुशी में इसरो के वैज्ञानिकों को 1 करोड़ रुपये देंगे एनआरआई

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चांद पर चंद्रयान के पहुंचने की खुशी में इसरो के वैज्ञानिकों को 1 करोड़ रुपये देंगे एनआरआई
राम मंदिर निर्माण में भी पृथ्वीराज ने एक करोड़ रुपये भेंट किए थे

 

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भारत के चंद्रयान 3 ने बुधवार को इतिहास रच दिया। इंडिया चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफलता से लैंडिग करने वाला विश्व का प्रथम देश बन गया है। इसी खुशी में अब बाड़मेर निवासी एनआरआई प़ृथ्वीसिंह कोलू ने बड़ी घोषणा अपने स्तर पर कर दी है। उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों को एक करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि की घोषणा की।

आपको बता दें कि जैसे ही चंद्रयान 3 चांद पर पहुंचा। इसके बाद बाड़मेर के कोलू गांव निवासी और एनआरआइ पृ़थ्वीराज सिंह ने इसरो के वैज्ञानिकों को एक करोड़ रुपये की घोषणा की है। बता दें कि पृथ्वीराज ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के महत्वपूर्ण मिशन चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर सकुशल उतरने पर भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता को मिसाल मानते हुए यह बड़ी घोषणा की है।

उन्होंने कहा इस सफलता से भारतीयों का सीना गर्व से बड़ा हुआ है। बता दें कि पृथ्वीराज की कंपनी प्रकाश पंप मिडल ईस्ट (अरब देश) में है। पृथ्वीराज ने इससे पूर्व कवास में आई बाढ़ में बाड़मेर के लोगों की बड़ी मदद की थी।

कोरोनाकाल में उन्होंने अत्याधुनिक एक्स-रे मशीन व 2 करोड़ 50 लाख की लागत से न्यू टैक्नोलॉजी का आइसीयू वार्ड भी बनवाया और सरकारी अस्पताल को भेंट किया। ये भी बता दें कि अयोध्य में राम मंदिर निर्माण में भी पृथ्वीराज ने एक करोड़ रुपए भेंट किए। भामाशाह के तौर पर वे लगातार क्षेत्र के लिए मददगार रहे हैं।

चंद्रयान 3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तिथि क्यों हुई तय, चांद के द्वार चंद्रयान

चंद्रयान 3 को लेकर देश ही नहीं दुनिया भी इंतजार कर रही है। 14 जुलाई को चंद्रयान 3 की लांचिंग के करीब 25 दिन बाद रूस ने लूना-25 को लांच किया था लेकिन लैंडिंग से पहले वो क्रैश हो गया।

अभी सभी के मन में एक प्रश्र उठ रहा है कि 23 अगस्त की तिथि और शाम 6 बजकर 4 मिनट का ही क्यों किया गया। इसरो के अनुसार विक्रम लैंडर की लैंडिंग में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर किसी तरह की दिक्कत आई उस हालात में भी हमारे पास प्लान बी तैयार है। यहां पर 23 अगस्त की तिथि और समय के चुनाव के बारे में बताएंगे।

ये हैं खास वजह

आपको बता दें कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरने के बाद सौर ऊर्जा के माध्यम अपनी गतिविधि को आगे बढ़ाएगा। चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन उजाला रहता है। अगर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दिन की जगह पर रात्रि में उतरते तो कार्य करना मुश्किल होता।

आपको बता दें कि सटीक गणना के बाद इसरो के वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि साउथ पोल पर सूरज की पर्याप्त रोशनी रहेगी। इससे ना सिर्फ लैंडिंग में आसानी होगी बल्कि प्रज्ञान रोवर सही तरीके से काम कर सकेगा.

चांद पर इस समय रात्रि है और 22 अगस्त से उजाला हो चुका है,  23 अगस्त से लेकर 5 सितंबर तक उजाला रहेगा और उसका फायदा यह होगा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान दोनों को सूरज से ऊर्जा मिलती रहेगी।

दक्षिणी ध्रुव पर  माइनस 230 डिग्री तापमान

इसरो के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर माइनस 230 डिग्री तापमान रहता है, कड़ाके की ठंड में विक्रम और प्रज्ञान के लिए काम करना मुश्किल होगा लिहाजा 23 अगस्त की तिथि को सोच समझ कर किया।

 

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