चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा
आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से बाहुबली रॉकेट एलवीएम 3 एम4 को शुक्रवार के दिन स्पेस में भेज दिया गया। इसरो ने एक बार फिर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया है।
इसका मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर किया जाएगा। गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद भारत चौथा देश बन जाएगा, जिसने चंद्रमा पर साफ्ट लैंडिंग की महारत हासिल की है।
अब तक जितने भी देशों ने अपने यान चंद्रमा पर भेजे हैं उनकी लैंडिग उत्तरी ध्रुव पर हुई है जबकि चंद्रयान-3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला यान होगा
कंट्रोल रूम से किया लॉन्च
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथत अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिशन कंट्रोल रूम से चंद्रयान 3 लॉन्च किया गया। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर व प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं।
आपको बता दें कि करीब 40 दिन बाद, यानी 23 या 24 अगस्त को लैंडर व रोवर चांद के साउथ पोल पर उतर जाएंगे। यह दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर धरती जो भी आने वाली रेडिएशन्स की स्टडी करने का कार्य करेगा।
सबकी नजर थी चंद्रयान 3 पर
आपको बता दें िकइंडिया पर नजर चंद्रयान 3 पर टिकी हुई है। देश इसमें आज सफलता हासिल कर लेगा। वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे। यह भी बता दें कि चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की तह पर यान को सुरक्षित उतारना। लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल रहा है।
बता दें कि चंद्र मिशन अभियान के तहत चंद्रयान-3 को ‘ फैट बॉय’ एलवीएम3-द्व4 रॉकेट लेकर जाएगा। 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से बहुप्रतीक्षित प्रक्षेपण के लिए इसरो जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हुए हैं।
चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग अगस्त के आखिर में निर्धारित है।
CHANDERYAN 3 : लॉन्च करने वाली इसरो वैज्ञानिकों की टीम पहुंची तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर