सीढ़ी के नीचे टॉयलेट नहीं होना चाहिए, घर में एक लाइन में तीन दरवाजे नहीं होना चाहिए
राजाओं के महलों में भी होता था वास्तु का उपयोग: श्वेता गर्ग
वास्तु सहयोगी श्वेता गर्ग ने हरियाणा के सिरसा में एक निजी रिजोर्ट में वास्तु पर आयोजित सेमिनार में महत्वपूर्ण जानकारी दी। इस दौरान श्वेता गर्ग ने आचार्य पंकित गोयल के सान्निध्य में सेमीनार का आयोजन किया।
उन्होंने बताया कि सीढ़ी के नीचे टॉयलेट नहीं होना चाहिए, घर में एक लाइन में तीन दरवाजे नहीं होना चाहिए। वास्तुशास्त्र की ये सब बातें सिर्फ मिथक हैं। पहले समय में जमीन पर्याप्त मात्रा में मिल जाती थी। लोग अपने हिसाब से घर बना लेते थे।
वास्तु में केवल 8 दिशाएं नहीं
बदलते समय में हम लोगों ने साइंटिफिक तरीके से रिसर्च कर वास्तु का विकल्प निकाला है। वास्तु में बिना तोड़-फोड़ के घर का वास्तु ठीक किया जाता है। गर्ग ने कहा कि वास्तु में केवल 8 दिशाएं नहीं, बल्कि 16 दिशाएं होती हैं। आज के वक्त जहां लोगों के जमीन कम है, ऐसे में हमें 16 दिशाओं वाले वास्तु पर जाना सही रहेगा। उन्होंने कहा कि राजाओं के महल और मंदिरों में भी वास्तु का ही यूज होता आ रहा है। जैसे कि आमतौर पर लोग गणेश जी को प्रथम पूज्य मानकर घर के मुख्य दरवाजे में उनकी मूर्ति लगा देते हैं।
उन्होंने ये भी बताया कि एक रिसर्च में सामने आया कि जिस घर में पिता-पुत्र की नहीं बनती, उसमें एक बड़ा कारण गणेश जी की मूर्ति का गेट पर लगाना है। पार्वती जी ने गणेश जी को एक बार द्वारपाल नियुक्त किया था, जिससे पिता-पुत्र के बीच संग्राम हुआ था। जिसकी जहां जगह हो, वहीं रखना चाहिए। गर्ग ने बताया कि लोगों के अंदर एक मिथक होता है कि दक्षिण मुखी एंट्री अशुभ होती है, लेकिन यह केवल मिथक है।
महानगरों में बड़े-बड़े फ्लैट बनाए जाते हैं, जिसमें चारों तरफ से एंट्री द्वार बनाए जाते हैं। वास्तु में फोर स्टेप मैथड से वास्तु दोष को दूर किया जाता है। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने कुछ सवाल भी श्वेता गर्ग से पूछे, जिनका जवाब देकर उन्होंने लोगों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
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