INDIA :- राजनीतिक को सत्यम शिवम सुंदरम करना हो तो एक नेताको दो से ज्यादा बार चुनने पर प्रतिबंध हो भारत देश में हमारे विकास के तीन पिलर - Choptapress.com

INDIA :- राजनीतिक को सत्यम शिवम सुंदरम करना हो तो एक नेताको दो से ज्यादा बार चुनने पर प्रतिबंध हो भारत देश में हमारे विकास के तीन पिलर

Narender Yadav
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राजनीतिक को सत्यम शिवम सुंदरम करना हो तो एक नेताको दो से ज्यादा बार चुनने पर प्रतिबंध हो
भारत देश में हमारे विकास के तीन पिलर

डा. नरेंद्र यादव ने बताया है कि किसी देश के विकास में जितना बड़ा योगदान राजनीति का है शायद ही किसी और फील्ड का होगा क्योंकि विधायिका ही तो सभी कानून बनाती है, चाहे माननीय सांसद हो, चाहे माननीय विधायक हो , उन्ही में से चुन कर ही तो माननीय प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री गण तथा मुख्यमंत्री और मंत्री बनते है।

भारत देश में हमारे विकास के तीन पिलर है जिसमे सबसे पहला स्थान विधायिका का आता है, दूसरा  कार्यपालिका तथा तीसरा न्याय पालिका का , इसके साथ ही जो एक और महत्वपूर्ण पिलर है वो मीडिया का है जो महत्वपूर्ण  भूमिका अदा करता है। इसमें जो सबसे महत्वपूर्ण है वो आप सभी जानते है वो विधायिका है ।

मैं, जो देश के नागरिकों से कहना चाहता  हूं कि विधायिका एक ऐसा फील्ड है जो देश के विकास की धारा की दिशा तय करते है ये कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा मीडिया से बिल्कुल भिन्न है , बाद वाले तीनो नौकरी आधारित है , और जो विधायिका है ये मालिकाना हक देती है क्यों कि जनता के प्रतिनिधि के रूप में माननीय जन प्रतिनिधि ही होते है।

इसलिए जो सबसे दिमाग का काम है , जो सबसे सतर्कता का कार्य है वो विधायिका का है, जैसे कानून बनेंगे उनको लागू करना ही तो कार्यपालिका और न्यायपालिका का कार्य है। प्रिय नागरिकों, यहां मैं विधायिका पर ही फोकस कर रहा हूं जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य के लिए किसी भी व्यक्ति के जीवन के कुछ वर्ष ही लिए जाते है वैसे ही ये भी सबसे महत्वपूर्ण कार्य है, इसमें भी कोई भी इंसान ज्यादा सालो तक बहुत रुचि से कार्य नही कर पाता है।

ये किसी भी मानव की फितरत है की अगर कोई एक जैसा कार्य 10 वर्ष से ज्यादा समय तक किया जाए तो उसमे रुचि बहुत कम हो जाती है, जितनी रुचि ,व्यक्ति पहली बार किसी भी पद के लिए चुनकर जाता है उतनी 10 साल के बाद थोड़ी रहती है धीरे धीरे साल दर साल घटती जाती है इसी लिए कार्यपालिका में भी कुछ साल बाद पद में उन्नति होती रहती है या उसका कार्य बदल जाता है। तभी वो लंबे समय तक कार्य कर सकते है। इसलिए विधायिका में भी दो टर्म से ज्यादा बार चुनने पर पाबंदी हो ताकि ज्यादा लोगो को मौका मिले।

और नए लोगो को, युवाओं तथा महिलाओं को भी अवसर मिल सके। अगर अभी आप देखेंगे तो कुछ परिवारों ने राजनीति पर कब्जा किया हुआ है। हमारे देश में लगभग माननीय सांसद बनते है, लगभग पांच हजार विधायक बनते है ,उसके बाद जिला परिषद सदस्य, ब्लॉक समिति सदस्य एवम् सरपंच, ग्राम पंचायत सदस्य बनते है परंतु यहां विचार करने की बात ये है

कि कुछ परिवार ही इन सब पदो पर कब्जा जमाएं हुए है। दूसरो को कोई मौका ही नही मिलता है कोई गरीब आदमी चुनाव ना तो लड़ सकता है और ना ही वो चुनाव जीत सकते है क्योंकि वोटर लालची हो गए है , वो भावुक हो जाते है, वो लोभ में आ जाते है।

अगर देश की राजनीति को आमूलचूल परिवर्तन करना है तो इसका एक ही उपाय है कि एक व्यक्ति को दो बार से ज्यादा बार ना चुना जाए, उनके दो बार चुने जाने के बाद , उन्हे चुनाव ना लडऩे की हिदायत हो। दो बार चुने जाने के बाद प्रतिबंध हो तो बहुत से और ब्रिलियंट लोगो मौका मिलेगा। देश में बहुत से नागरिक होशियार है, देशभक्त है, पढ़े लिखे है, मेहनती है, ईमानदार है, सदाचारी है, चरित्रवान है।

बहन बेटियों की इज्जत करने वाले है, गांधीवाद पर चलने वाले है, सत्यवादी है, संवेदनशील है, विचारशील है, निस्वार्थ है, निर्भीक है, स्वदेश प्रेमी है , वैज्ञानिक है, बेहतरीन से बेहतरीन शिक्षक है ना जाने कितने ही ऐसे लोग है। जिनके पास पैसे तो नही है लेकिन ईमान है, जमीर है, सत्य है, परिश्रम है, संवेदना है , करूणा है, दया है।

उन्होंने बताया कि सब कुछ है उन्हे भी अवसर मिलना चाहिए जिससे वो भी देश की सेवा में अपना समय दे सके, कितने लोग तो ऐसे होंगे जिन्हें कोई पेंशन भी नही चाहिए, कोई पैसा नही चाहिए।

मैं बस यही सोचता हूं की एक व्यक्ति को अपना बेहतरीन से बेहतरीन करने के लिए दो टर्म बहुत है, उसके आगे मुझे ऐसा लगता है कि कोई भी व्यक्ति एक ही कार्य में बहुत अच्छे परिणाम नही दे सकते है।

 

इतने बड़े देश में क्या हमारे पास हर दो टर्म के बाद क्या इतने लोग भी ईमानदार, परिश्रमी, संवेदनशील, सत्यवादी, करूणा वाले खूब मिलेंगे और देश में सभी को अवसर मिलेंगे।
जय हिंद
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी

 

 

 

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